श्रीमद्भगवद्गीताभाष्यम्
आनन्दगिरिटीका (गीताभाष्य)
 
किञ्च
किञ्च

इतोपि ज्ञेयं ब्रह्मास्ति, इत्याह-

किञ्चेति ।